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१०८ जाप महा मृत्युंजय मंत्र
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र || शिव तांडव स्तोत्र
Ravan Rachit Shiv Tandav Stotram || Shiv Tandav
चन्द्रशेखराष्टकं (Chandrasekharashtakam)
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् । चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥ १॥
रत्नसानुशरासनं रजतादिशृङ्गनिकेतनं सिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युताननसायकम् ।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं
त्रिदिवालयैरभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै
यमः ॥ २॥
पञ्चपादपपुष्पगन्धपदाम्बुजद्वयशोभितं भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् ।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ३॥
मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
देवसिन्धुतरङ्गसीकरसिक्तशुभ्रजटाधरं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ४॥
यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ५॥
कुण्डलीकृतकुण्डलेश्वरकुण्डलं वृषवाहनं नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्धकामाश्रितामरपादपं शमनान्तकं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ६॥
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं
त्रिविलोचनम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ७॥
भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं सर्वभूतपतिं परात्परम्प्रमेयमनुत्तमम् ।
सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ८॥
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् ।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष
माम् ॥ ९॥
मृत्युभीतमृकण्डसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य
मृत्युभयं भवेत् ।
पूर्णमायुररोगितामखिलार्थसम्पदमादरं चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः
॥ १०॥
॥। इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
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पितृदोष के लक्षण और दुर करने के उपाय (Pitrudosh)
पितृदोष यानी हमारे पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध कर्म ना होने के कारण घर में आने वाली परेशानी।
पितृदोष है या नहीं ये जातक की कुंडली से भी पता किया जाता है।अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु-केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो इसे पितृदोष कहा जाता है।
पितृदोष का प्रभाव:-
1 - जिस घर में किसी सदस्य को पितृदोष होता है उस घर में अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता है।
2 - पितृदोष के कारण घर के बच्चों में हमेशा कलह होता हैष
3 - जहां पितृदोष होता है वहां संतान पैदा होने में विलंब होता है।
4 - बिजनेस में लाभ नहीं होता, उधारी बहुत ज्यादा होती है।
5 - इंसान के पैसे उधारी में डूब जाते हैं या बेकार कामों में खर्च हो जाते हैं।
पितृ दोष निवारक मन्त्र :
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः !
ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः !!
पितृ दोष दूर करने के उपाय:
1.कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी स्तुति करनी चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
2. अपने स्वर्गीय परिजनों की तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद का व्यंजन अवश्य बनाएं।
3.इसी दिन अगर हो सके तो अपने सामर्थ अनुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
4. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
6. सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। ऐसा 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
7. इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 01 सितम्बर - 17 सितम्बर 2020
8. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
9. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
10. ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
11. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।
12 .पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है।
अगर पितृदोष हो तो कई सारी समस्याएं आती हैं। इनकी शांति के लिए पितृदोष की पूजा होती है, जिसमें सभी जाने या अनजाने पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध किया जाता है। अगर आपके पास पूजा कराने के लिए समय या संसाधनों का अभाव हो तो आप कुछ छोटे-छोटे उपायों से अपने पितृदोष की शांति कर सकते हैं।
पितृ दोष का समाधान तथा शान्ति व्यक्ति को स्वंय को करनी चाहिये । पूजा -पाठ शान्ति के लिये योग्य ज्योतिषी की केवल सलाह ले सकते है।
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सर्वपितृकार्य अमावस्या का श्राद्ध
सर्वपितृकार्य अमावस्या का श्राद्ध
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आज
यानी 17 सितम्बर को सर्वपितृकार्य
अमावस्या या महालया
अमावस्या है। सर्वपितृ
मोक्ष अमावस्या के
साथ ही श्राद्ध
पक्ष समाप्त हो
जाता है। इस
दिन का श्राद्ध
कर्म करना फलदायक
माना जाता है।
अमावस्या पर किये
गए श्राद्ध से
पूर्वजों की आत्मा
प्रसन्न होती हैं।
आश्विन मास की
अमावस्या तिथि को
महत्वपूर्ण माना जाता
है।
पितृमोक्ष अमावस्या
के साथ ही
श्राद्ध पक्ष समाप्त
हो जाता है.
इस दिन का
श्राद्ध कर्म करना
फलदायक माना जाता
है. जिन पूर्वजों
की पुण्यतिथि ज्ञात
नहीं हो, उनका
श्राद्ध अमावस्या तिथि पर
किया जा सकता
है।
पितृमोक्ष
अमावस्या पर क्या
करें?
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-पितृ मोक्ष
अमावस्या वाले दिन
सुबह-सुबह पीपल
के पेड़ के
नीचे घर का
बनाया हुआ भोजन
और पीने योग्य
शुद्ध पानी की
मटकी रखकर धूप-दीप जलाएं।
Pitru Paksha , Pitru Paksh